Sunday 4 February 2018

क्या है ? एक साथ हुआ सुपरमून , ब्लूमून और चंद्रग्रहण ।

नमस्कार दोस्तों आपका फिर से  स्वागत है एक और नये  पोस्ट मे  आज इस पोस्ट मे मै आप के लिए 31 जनवरी का चंद्रग्रहण के बारे मे कुछ नया जानने के लिए लाया हूँ ।
तो चलिये जानते है कि यहा चंद्रग्रहण इतना महत्वपूर्ण क्यों है ? वैज्ञानिक के लिए यहा महत्वपूर्ण कैसे है ? आखिर 'ब्लडमुन ','सुपरमून ' और ब्लूमून होता क्या है ।
तो आप को बता दे की 31 जनवरी को भारत और दुनिया भर के लोगो को एक दुर्लभ खगोलिए घटना देखने को मिली , यह मौका था 'ब्लडमुन ','सुपरमून ' और ब्लूमून का । एक साथ ये तीनों घटनाए भारत मे शाम 6.21 बजे से 7.37 बजे तक देखने को मिला  । इस दौरान चंद्रमा आम दिनो के तुलना मे अधिक बड़ा और चमकदार दिखा । यहा 2018 का पहला चंद्रग्रहण था और इसी  दौरान यहा लाल भी दिखा । भारत के अलावा यहा दुर्लभ नजारा  रूस के पूर्वी भाग, उत्तरी अमेरिका , न्यूजीलैंड , इंडोनेशिया , आट्रेलिया और  प्रशांत क्षेत्र ,पूर्वी एशिया मे भी देखने को मिला ।
31 जनवरी का चंद्रग्रहण तीन कारणों से खास 
ब्लडमून : दोस्तो  ब्लड  से ही मालूम पड़ता है की लाल रंग , चंद्रग्रहण के दौरान पृथ्वी की छाया की वजह  से धरती  से  चाँद काला देखाई देता है । 31 तारीख को इसी  चंद्रग्रहण के दौरान कुछ सेकेंड के लिए चाँद पूरी तरहा से लाल भी देखाई दिया । इसे ब्लडमून कहेते है ।
यह इसतिथि  तब आती है जब सूर्य के रोसानी फैलकर चाँद तक पहुचती है ।
ब्लूमून : यह महीने के दूसरे फुल मून यानी पूर्ण चन्द्र का मौका भी है । जब फुलमून महीने मे दो बार होता है तो दूसरे वाले फुलमून को ब्लूमून कहते है ।
सुपरमून : लोगों के पास दो महीने के भीतर लगातार तीसरी बार सुपरमून देखने का मौका था । इसके पहले
3 दिसंबर और 1 जनवरी को भी सुपरमून दिखा था ।
सुपरमून वह खगोलिए घटना है जिसके दौरान चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है और 14 % अधिक चमकीला भी । इसे पेरिगी मून भी कहेते है । धरती से नजदीक वाली स्थिति को पेरगी (356500 किलोमीटर ) और दूर वाली स्थिति को अपोगी (406700 किलोमीटर ) कहेते है ।